कभी कभी जब दुखी हो जाता है देखकर अहम् की लड़ाई को....... कभी कभी जब दुखी हो जाता है देखकर अहम् की लड़ाई को.......
ममता की ऐसी मूरत पर मैं अपना शीश नवाऊँ आशा की तितली बन जाऊं ममता की ऐसी मूरत पर मैं अपना शीश नवाऊँ आशा की तितली बन जाऊं
कर रहे हैं वे शहर की इस तरह रखवाली कर रहे हैं वे शहर की इस तरह रखवाली
जो बोलना हो खुल कर बोलो ऐसा तो कोई रिवाज नहीं।। जो बोलना हो खुल कर बोलो ऐसा तो कोई रिवाज नहीं।।
मिटाकर गीले शिकवे बन के भाई आओ भजन करें । सदियो रहे मिलके आगे भी दस्तूर ये ज़िंदा रहे मिटाकर गीले शिकवे बन के भाई आओ भजन करें । सदियो रहे मिलके आगे भी दस्तूर ये ज़...
जात-पात के भर्म को तोड़, एक-एक को गले लगाते चलें । सबको साथ में लेकर यहाँ, कदम से कदम जात-पात के भर्म को तोड़, एक-एक को गले लगाते चलें । सबको साथ में लेकर यहाँ, ...